Amazing Facts of Sun: जानिए सूर्य की उम्र कितनी है, आखिरी समय में क्या होगा ? हमारे सूरज में समा सकती है 13 लाख पृथ्वी
रायपुर, एनपीजी न्यूज। धरती से सूर्य की औसत दूरी लगभग 14 करोड़ 96 लाख किलोमीटर है, जो चांद के मुकाबले हमसे 4 गुणा ज्यादा दूर है। सूरज हमारे सौरमंडल में जीवन का आधार है। अगर सूर्य न हो, तो मानव जीवन भी समाप्त हो जाएगा। आज हम आपको बताएंगे कि सूरज की उम्र कितनी है, ये कब समाप्त हो जाएगा और आखिरी समय में क्या होगा?
सूर्य के बारे में कुछ अहम जानकारियां
बता दें कि सूर्य से पृथ्वी पर प्रकाश को आने में 8.3 मिनट का समय लगता है। इसी प्रकाशीय ऊर्जा से प्रकाश संश्लेषण होता है, जो एक जैव-रासायनिक प्रक्रिया है। यही पृथ्वी पर जीवन का आधार है। सूर्य पृथ्वी के जलवायु और मौसम को भी प्रभावित करता है।
सूर्य में समा सकती है 13 लाख से ज्यादा पृथ्वी
सूर्य का आकार धरती के मुकाबले कई लाख गुना बड़ा है। इसका व्यास लगभग 13 लाख 90 हजार किलोमीटर है। सूर्य हाइड्रोजन और हीलियम गैसों का एक विशाल गोला है। सूर्य में एक साथ 13 लाख से ज्यादा पृथ्वी समा सकती है। सूर्य का व्यास पृथ्वी के व्यास से करीब 109 गुणा अधिक है। सूर्य का वजन भी पृथ्वी से करीब 3,33,000 गुणा ज़्यादा है।
सूरज की सतह का तापमान 5500 डिग्री सेल्सियस
सूर्य का तापमान इतना ज्यादा है कि धरती से भेजी जाने वाली कोई भी चीज उसकी सतह से लाखों किमी पहले ही पिघल जाएगी। सूरज का बीच जिसे कोर (core) कहते है, वहां का तापमान 15 मिलियन डिग्री सेल्सियस तक होता है। रेडियो एक्टिव स्फीयर में 2 मिलियन डिग्री सेल्सियस तापमान है। फोटोस्फेर (photosphere) में 5500 डिग्री सेल्सियस तक तापमान है। वहीं क्रोनो स्फीयर का तापमान 4,320 डिग्री सेल्सियस है।
सूर्य की उम्र
वैज्ञानिकों के अनुसार, सूर्य की उम्र करीब 10 अरब वर्ष के करीब है। अभी तक वह 4.6 अरब वर्ष की आयु पूरी कर चुका है। जब सूरज का समय पूरा होगा, तब वो फट जाएगा। हालांकि इस स्थिति के आने से लाखों साल पहले ही धरती पर जीवन खत्म हो जाएगा।
सूर्य अपने आकार से 100 गुणा ज्यादा बड़ा हो जाएगा
हमारा सूर्य हर सेकंड लगभग 65,70,0000 लाख टन हाइड्रोजन को 65,30,0000 लाख टन के लिए हमें ट्रान्सफर करता है। 4 लाख टन हाइड्रोजन का ऊर्जा में रूपांतरण होता है। वह उर्जा अंतरिक्ष में चारो और फैल जाती है। यह प्रक्रिया लगभग 5 अरब साल तक चलेगी। उसके बाद सूर्य के केंद्र का हाइड्रोजन खत्म हो जायेगा। जिसके कारण सूर्य के केंद्र का तापमान बहुत अधिक बढ़ जाएगा। धीरे धीरे उसका आकार बढ़ने लगेगा और सूर्य अपनी मूल अवस्था से 100 गुणा ज्यादा बड़ा हो जायेगा। जब कोई ऐसे विकसित होता है, तब उसको Red giant कहते हैं। हमारा सूरज भी एक दिन ऐसे ही Red giant बन जाएगा।
बुध और शुक्र ग्रह सबसे पहले सूर्य में समा जाएंगे
सूर्य का आकार बढ़ने पर वो बुध और शुक्र ग्रह को खुद में समा लेगा। पृथ्वी पर तो सूरज की गर्मी के कारण पहले ही जीवन समाप्त हो चुका होगा। जब सूर्य में सिर्फ हीलियम बचा होगा, तब वो भी धीरे-धीरे कार्बन में बदल जाएगा। उसकी बाहरी परत अंतरिक्ष में बिखर जाएगी। केवल पृथ्वी के आकार का एक आंतरिक भाग बचेगा, जिसका तापमान बहुत अधिक होगा। बाद में सूर्य श्वेत वामन तारा यानि white dwarf का रूप ले लेगा। बाद में ये भी अपनी ऊर्जा खोकर बुझे हुए कोयले के समान हो जाएगा। हालांकि इस प्रोसेस में 5 अरब साल लग जाएंगे।
सूरज का जन्म ऐसे हुआ था
करीब 4.5 अरब साल पहले हीलियम और हाइड्रोजन से बने एक आणविक बादल से सूरज के बनने की शुरुआत हुई थी। वैज्ञानिकों का मानना है कि सुपरनोवा से सूर्य के करीब एक बेहद शक्तिशाली शॉकवेव पैदा हुई थी, जो उस बादल के संपर्क में आई। उसकी शक्ति से ही सूर्य चार्ज हो गया और इस प्रक्रिया से इसकी उत्पत्ति हुई।
कुल मिलाकर आप ऐसे समझ सकते हैं कि सूर्य का निर्माण एक विशाल आणविक बादल के हिस्से के ढहने से हुआ था। यह बादल ज़्यादातर हाइड्रोजन और हीलियम से बना था। बादल के ढहने से यह तेजी से घूमने लगा और एक डिस्क में चपटा हो गया। इस डिस्क के बाहर की ओर चपटे हिस्से से ग्रह और दूसरे सौरमंडलीय निकाय बने। बादल के केंद्र में बहुत अधिक द्रव्य इकट्ठा हो गया। इस केंद्र में गुरुत्वाकर्षण और दबाव की वजह से बहुत अधिक गर्मी पैदा हुई।
इस गर्मी से नाभिकीय संलयन शुरू हो गया और सूर्य का जन्म हुआ।
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