पानी सिर के ऊपर से गुजर गया है बापू राष्ट्रपिता हैं अथवा नहीं

पानी सिर के ऊपर से गुजर गया है बापू राष्ट्रपिता हैं अथवा नहीं

हम जानते हैं प्रधानमंत्री तो महात्मा गांधी के महान भक्त हैं , फिर बीजेपी के बड़े बड़े नेता बापू के खिलाफ लगातार क्यौं बोलते हैं ?
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा बताएं कि बापू को मानना है या नहीं ?
यह भी प्रधानमंत्री और भाजपा अध्यक्ष के पद से बताया जाना चाहिए कि बापू के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देवता मानना है , अथवा हत्यारा ?
यदि हत्यारा तो उन लोगों और नेताओं के खिलाफ़ वैसे आपराधिक मुकद्दमे क्यौं नहीं कायम होते जैसे कालीचरण के खिलाफ हुए हैं ?
कालीचरण को जैसे गिरफ्तार किया गया वैसे ही उनकी गिरफ्तारी क्यौं नहीं होती जो बापू को निरन्तर गाली देते हैं ?

अब काफी हो चुका है । वैसे तो पहले भी गोडसे के भक्तों की कमीं नहीं थी लेकिन सार्वजनिक मंच से बोलते हुए डरते थे । जब से केंद्र में भाजपानीत एनडीए की सरकार आई है , तब से तो मानों बापू को गाली देना और गोडसे का महिमामंडित करना एक फैशन बनता जा रहा है ।

यह बात एकतरफा साफ होनी चाहिए कि भाजपा का महात्मा गांधी की निंदा भर्त्सना से कितना लेना देना है । अब तो यह भी कहा जा रहा है कि रायपुर की धर्मसंसद तो कांग्रेस द्वारा बुलाई गई थी जिसमें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी आमंत्रित थे ? जिस कथित कालीचरण को संत बताया जा रहा था , वह भी कोई संत नहीं , कांग्रेस का ही नेता है । तो क्या कांग्रेस भी बापू को गाली देना बर्दाश्त करेगी ?

वैसे कुछ लोगों अथवा कुछ नेताओं के मानने से देश की राय नहीं आती । देश को आजादी दिलाने के लिए यह देश सदा महात्मा गांधी का ऋणी रहेगा । बापू ने कांग्रेस के माध्यम से विश्व का अकेला अहिंसात्मक आंदोलन खड़ा किया । सत्य के प्रति आग्रह प्रगट करने वाला सत्याग्रह बापू की ही देन है ।

निःसंदेह आजादी की जंग अनेक क्रांतिकारियों ने लड़ी , नेताजी ने जीवंत रूप में लड़ी , लेकिन पूरे देश को सत्य की राह पर संगठित करने का काम बापू ने ही किया । भारत की पूरी दुनिया में साख महात्मा गांधी के कारण है ।

दुनिया भारत को बापू के देश के नाम से ही जानती है । बापू को नकारकर आखिर हम दुनिया को क्या दिखाना चाहते हैं ? क्या हम कहना चाहते हैं कि गांधी को मानने वाली दुनिया गलत है ? क्या हम कहना चाहते हैं कि हे दुनिया वालों , गांधी को गालियां दो और गोडसे को पूजो ??

लेकिन बापू का विरोध किसी दल ने नहीं किया , सभी ने महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता माना । अब तस्वीर पलटी । तमाम दल भाजपा मतलब एनडीए के खिलाफ हैं । एनडीए में भाजपा नेताओं को छोड़कर कोई दल बापू को राष्ट्रपिता मानने से इनकार नहीं करता ।

तो बात साफ करें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ? देश के नाम संदेश देकर बताएं कि बापू को राष्ट्रपिता मानना है या नहीं ? या फिर गोडसे की पूजा करनी है ? अच्छा हो नववर्ष की पूर्व बेला में कम से कम यह बात तो साफ हो जाए ?

aastha news

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