Pandit Devkinandan Dixit: बिलासपुर शहर का कण-कण है दानवीर देवकीनंदन दीक्षित का ऋणी: सुई धागा से लेकर पूरी चल- अचल संपत्ति दान में देकर कर की जन्म से लेकर मृत्यु तक की व्यवस्था

Pandit Devkinandan Dixit: बिलासपुर शहर का कण-कण है दानवीर देवकीनंदन दीक्षित का ऋणी: सुई धागा से लेकर पूरी चल- अचल संपत्ति दान में देकर कर की जन्म से लेकर मृत्यु तक की व्यवस्था

Share

Pandit Devkinandan Dixit: बिलासपुर। बिलासपुर शहर को बसाने में अपनी अहम भूमिका निभाने वाले पंडित देवकीनंदन दीक्षित जिसे सर्वस्व दानी या फिर दानवीर कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। ऐसा दानवीर दुनिया में एक ही बार जन्म लेता है। पंडित दीक्षित ऐसे दानवीर थे जिन्होंने जन्म से लेकर मृत्यु तक की व्यवस्था की।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा जो आज चर्चित हो रहा है उस दौर में यह उनके जेहन में था। तभी तो बेटियों की पढ़ाई लिखाई के लिए स्कूल बनवाया। दान का एक हिस्सा बेटियों के स्कालरशिप के लिए जमा कराया है। आज भी बेटियों को उनके नाम से स्कालरशिप मिल रही है। बिलासपुर शहर का हर एक कोना इस दानवीर का ऋणी है।

छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद बिलासपुर शहर को एक नया नाम मिला। न्यायधानी, छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की स्थापना के बाद यह नाम अपने आप पड़ गया कहें तो भी इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं लगनी चाहिए। प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा शहर। अब न्यायधानी के रूप में अपनी पहचान बना चुकी है।

बिलासपुर जिसे अब न्यायधानी के रूप में ज्यादा प्रसिद्धी मिल चुकी है। इसे सजाने संवारने वाले के बारे में शायद नई पीढ़ी को पता ही नहीं होगा। दानवीर पंडित देवकीनंदन दीक्षित। पंडित दीक्षित ने बिलासपुर नगर निगम को सैकड़ों एकड़ जमीन दान में दे दिया था। उन जमीनों की कीमत वर्तमान में हजारों करोड़ रुपए से भी अधिक ही होगी। उद्देश्य सिर्फ यही कि माटी का कर्ज उतारना। जहां जन्म लिए और जिस धरा पर पले बढ़े वहां का कर्ज उतारना। अपने शहर को जीते जी और मरने के बाद भी उसी अंदाज में फले फूले देखने की इच्छा।

आइए, आज हम आपको बताते हैं बिलासपुर के दानवीर स्व. पंडित देवनीनंदन दीक्षित के बारे में, जिन्होंने इस शहर को बेहतर बनाने के लिए अपना सब कुछ दान कर दिया था। दरअसल, बिलासपुर के पंडित देवकीनंदन दीक्षित ऐसे दानी व्यक्ति थे, जिन्होंने अपनी जीवनभर की कमाई की अरबों की जमीन और धन संपत्ति दान कर दी।

वसीयत देखिए-सुई धागा से लेकर सब कुछ दान कर दिया

स्कूल, अस्पताल, मुक्तिधाम बनाने के लिए पंडित देवकीनंदन दीक्षित ने अपनी जमीन दान की थी। स्व. देवकीनंदन ने अपनी वसीयत में सुई धागे से लेकर जितनी भी चीजें उनके पास थी, उसे दान कर दिया था। पंडित देवकीनंदन दीक्षित ने दान में दी गई अपनी जमीन पर अस्पताल, स्कूल और मुक्तिधाम बनाने के लिए कहा था। आज शहर का सबसे बड़ा मुक्तिधाम पंडित देवकीनंदन दीक्षित के दान किए जमीन पर बना है।

मालगुजार थे देवकीनंदन

स्व. पंडित देवकीनंदन दीक्षित बिलासपुर जिले के कारी छापर गांव के मालगुजार थे। चार भाई और दो बहन का परिवार था। उनका परिवार बिलासपुर के गोल बाजार में रहकर व्यवसाय करते थे। उनके हिस्से आई जमीनों को उन्होंने अपने रिश्तेदार और भाई-बहन को देने के बजाय गरीबों के लिए दान करना बेहतर समझा। आजादी के पहले उन्होंने स्कूल, अस्पताल, मुक्तिधाम और कई ऐसी चीजों की व्यवस्था कर रहे थे।

बेटी शिक्षा के हिमायती थे पंडित दीक्षित

बेटी पढ़े और आगे बढ़े, कुछ इस सोच के सबसे बड़े पैरोकार थे पंडित दीक्षित। तभी तो दान की जमीन पर बेटियों के लिए स्कूल भवन बनवाने की बात अपनी वसीयत में उन्होंने लिखी है। उनके दान की जमीन पर आज भी बेटियों के लिए दो स्कूलों का संचालन किया जा रहा है। बेटियां यहां पढ़ाई कर रही है। 10 वीं और 12 वीं में स्कूल में टाप करने वाले बेटियों को उनके नाम से स्कालरशिप दिया जाता है।

Share

The post Pandit Devkinandan Dixit: बिलासपुर शहर का कण-कण है दानवीर देवकीनंदन दीक्षित का ऋणी: सुई धागा से लेकर पूरी चल- अचल संपत्ति दान में देकर कर की जन्म से लेकर मृत्यु तक की व्यवस्था appeared first on bhadas2media.

admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *