IAS News: 47 लाख कैश की वजह से IAS समीर विश्नोई जेल में, 8 करोड़ लेकर भागने वाले IAS के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं, ये कैसा न्याय?

IAS News: 47 लाख कैश की वजह से IAS समीर विश्नोई जेल में, 8 करोड़ लेकर भागने वाले IAS के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं, ये कैसा न्याय?

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IAS News: रायपुर। ये छत्तीसगढ़ में ही संभव है कि कोई आईएएस अधिकारी सरकारी खजाने से गरीब छात्रों का करोड़ों रुपए लेकर निकल जाए और उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो। बिहार, यूपी जैसे राज्यों में भी इस तरह अराजकता नहीं देखी गई होगी। इस घटना के बाद पांच साल बीजेपी की सरकार रही और उसके बाद पांच साल कांग्रेस की। मगर किसी भी सरकार ने छत्तीसगढ़ की गरीब जनता की गाढ़ी कमाई पर डाका डालने वाले आईएएस अधिकारी के खिलाफ न पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई और न ही पैसा रिकवरी करने का प्रयास किया।

माध्यमिक शिक्षा मंडल के चेयरमैन आईएएस टी0 राधाकृष्णन ने इस वारदात को अंजाम दिया। माशिमं में हजारों छात्र बोर्ड परीक्षा के लिए फीस भरते हैं। उस पैसे से दसवीं, बारहवीं बोर्ड परीक्षा के प्रश्नपत्र और उत्तरपुस्तिकाएं छपवाई जाती है। आईएएस राधाकृष्णन ने एक शातिर अपराधी की तरह बोर्ड के अकाउंट से अपने पर्सनल खाते में पैसा ट्रांसफर किया और उसके बाद उसे कैश निकालकर गायब कर दिया। इस सेंधमारी का पता चलने के बाद भी सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। अलबत्ता, आईएएस को बचाने के लिए विभागीय जांच शुरू कर दी गई।

जबकि, आईएएस समीर विश्नोई के घर पर मात्र 47 लाख रुपए कैश बरामद हुआ था। ईडी ने इस मामले में समीर विश्नोई को गिरफ्तार किया। जाहिर है, समीर के घर से अगर कैश नहीं मिला होता तो तुरंत गिरफ्तारी नहीं हुई होती। जैसे रानू साहू के साथ हुआ। रानू को पूरी जांच-पड़ताल के बाद समीर से करीब छह-सात महीने बाद गिरफ्तार किया गया।

करोड़ों रुपए की सेंधमारी की यह घटना 11-12 साल पुरानी है। तब 1978 बैच के आईएएस टी0 राधाकृष्णन छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल के चेयरमैन होते थे। माशिमं में बोर्ड परीक्षार्थियों की फीस का पैसा चेयरमैन और सिकरेट्री के ज्वाइंट एकाउंट में रखा जाता है। अक्टूबर 2013 में तत्कालीन बोर्ड सिकरेट्री अनिल राय कुछ दिनों के लिए अवकाश पर गए। चेयरमैन इसी अवसर की ताक में थे। बोर्ड के एकाउंट में करीब साढ़े आठ करोड़ रुपए होने से उनकी नीयत बिगड़ गई थी।

अनिल राय के बाहर जाते ही राधाकृष्णन रायपुर के बैरंग बाजार स्थित बोर्ड कैंपस में स्थित यूको बैंक के मैनेजर को बुलाया। उन्हें बताया कि बोर्ड परीक्षा के गोपनीय काम के लिए पैसे की काफी जरूरत है इसलिए एक चेकबुक उनके नाम अलॉट कर दो।

बैंक मैनेजर ने राधाकृष्णन को चेकबुक दे दिया। इससे पहले चेयरमैन आईएएस राधाकृष्णन ने बैंक ऑफ बड़ौदा में चेयरमैन राधाकृष्णन के नाम से पर्सनल एकाउंट खोलवा चुके थे। यूको बैंक से जैसे ही उन्हें चुकबुक मिला, उन्होंने आठ करोड़ रुपए महीने भर में अपने एकाउंट में ट्रांसफर कर लिया।

ऐसे हुआ खुलासा

राज्य सरकार ने छह महीने बाद जब आईएएस केडीपी राव को माशिमं का चेयरमैन बनाया, तब जाकर इसका भंडाफोड़ हुआ। दरअसल, माशिमं के गोपनीय कामकाज के लिए जब पैसे की जरूरत पड़ी तो केडीपी राव ने फायनेंंस अधिकारियों को बुलाकर बात की। अफसरों ने का बताया कि खजाना खाली है। तब इसकी खोजबीन शुरू हुई।

इसी बीच बैक आफ बड़ौदा का मैनजर केडीपी राव से मिलने आया। उन्होंने राव से पर्सनल एकाउंट खोलवाने का आग्रह किया। राव बोले, चेयरमैन का पर्सनल एकाउंट कहां खुलता है। इस पर बैंक मैनेजर ने उन्हें बताया कि राधाकृष्णन साहब ने पर्सनल एकाउंट खुलवाया था। तब उनके कान खड़े हो गए। उन्होंने सिकरेट्री अनिल राय को बुलाकर पूछा कि माशिमं चेयरमैन का पर्सनल एकाउंट कैसे खुल सकता है?

राधाकृष्णन आर्थिक मामलों में पहले से चर्चित रहे हैं इसलिए केडीपी राव के निर्देश के बाद सिस्टम हरकत में आया। अनिल राय ने यूको बैंक के अफसरों को बुलाकर पूछा तो पता चला कि राधाकृष्णन ने पर्सनल अकाउंट में आठ करोड़ रुपए चेक के जरिये ट्रांसफर किया है। ज्वाइंट अकाउंट का पैसा चेयरमैन के सिग्नेचर से ट्रांसफर कैसे कर दिया? बैंक अफसरों के पास इसका कोई जवाब नहीं था। बैंक ऑफ बड़ौदा से पूछा गया कि राधाकृष्णन ने आठ करोड़ ट्रांसफर किया, उसकी क्या स्थिति है? तो बैंक ने बताया कि ट्रांसफर करने के कुछ दिन बाद ही राधाकृष्णन ने कैश में पूरे पैसे निकाल लिए थे।

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