IAS News 2024: चीफ सिकरेट्री की छुट्टी, रिटायरमेंट से छह महीने पहले हटाने से नाराज मुख्य सचिव चले गए छुट्टी पर, ठुकरा दिया यह महत्वपूर्ण पद…
IAS News 2024: रायपुर। छत्तीसगढ़ बनने के 24 साल में सिर्फ बार ऐसा हुआ कि चीफ सिकरेट्री को रिटायरमेंट से पहले पद से हटाया गया। इस घटना से पी जाय उम्मेन इतने दुखी हुए कि लंबी छुट्टी पर चले गए।
छत्तीसगढ़ ब्यूरोक्रेसी की यह घटना 2012 की है। पी जॉय उम्मेन 1977 बैच के आईएएस अधिकारी थे। रमन सरकार ने करीब पौने चार साल तक उम्मेन को चीफ सिकरेट्री पद पर रखा। मुख्य सचिव बनाने से पहले वे कई विभागों के सचिव रहे। सरकार ने पीडब्लूडी, आवास पर्यावरण, फॉरेस्ट, पंचायत जैसे विभागों का सचिव और प्रमुख सचिव की जवाबदारी दी थी।
2008 में जब शिवराज सिंह चीफ सिकरेट्री पद से रिटायर हुए तो पी जाय उम्मेन को रमन सरकार ने मुख्य सचिव अपाइंट किया। इसके बाद वे जनवरी 2012 तक इस पद पर रहे। उम्मेन को सीनियर आईएएस अधिकारियों को सुपरसीड करके चीफ सिकरेट्री बनाया गया था। बीकेएस रे, पी राघवन और बीएल कपूर उम्मेन से सीनियर थे। मगर सहज-सरल होने की वजह से रमन सिंह के साथ ही शिवराज सिंह की उम्मेन पहली पसंद थे। रमन सिंह के क्लोज होने से उस समय शिवराज सिंह की अच्छी चलती थी।
उम्मेन करीब पौने चार साल तक चीफ सिकरेट्री रहे। मगर साल 2011 गुजरते-गुजरते रमन सिंह सरकार चीफ सिकरेट्री बदलने के मूड में आ गई थी। उम्मेन लगातार छुट्यिं में केरल चले जाते थे। सीएस सचिवालय में फाइलों की अंबार लग गई थी। सिस्टम पर सीएस का कोई नियंत्रण नहीं रह गया था। लिहाजा, सरकार भी अब उनसे पीछा छुड़ाने का फैसला कर लिया था।
सीएस बदलने के क्रम में रमन सिंह की सहमति मिलने के बाद सिकरेट्री टू सीएम बैजेंद्र कुमार और अमन सिंह ने दिल्ली डेपुटेशन से सुनिल कुमार को छत्तीसगढ़ लौटने के लिए राजी किया। सुनिल कुमार रायपुर आए तो उन्हें एसीएस स्कूल एजुकेशन की जिम्मेदारी दी गई। बताते हैं, सुनिल कुमार के छत्तीसगढ़ लौटने के बाद उम्मेन जनवरी 2012 में छुट्टी पर केरल जा रहे थे। अमन सिंह को ये खबर मिली तो वे मुख्यमंत्री का पैगाम लेकर उम्मेन से मिलने गए। उन्हें बताया कि सरकार ने सुनिल कुमार को मुख्य सचिव बनाने का निर्णय किया है।
अमन सिंह ने ये भी कहा कि मुख्यमंत्री चाहते हैं कि आपका पूरा सम्मान रखा जाए। आपको बिजली बोर्ड का चेयरमैन बनाया जाएगा। उस समय उम्मेन के पास सीएस के साथ ही बिजली बोर्ड अध्यक्ष का अतिरिक्त प्रभार था। याने सीएस से हटने के बाद वे बिजली बोर्ड में कंटीन्यू करते। सरकार की प्लानिंग यह थी कि उम्मेन के अवकाश पर जाने के दौरान सुनिल कुमार को प्रभारी मुख्य सचिव बना दिया जाए और उम्मेन जैसे ही छुट्टी से लौटेंगे, सुनिल कुमार को पूर्णकालिक मुख्य सचिव नियुक्त कर उम्मेन का बिजली बोर्ड का आदेश निकाल दिया जाएगा।
मगर उम्मेन छुट्टी बढ़ाते चले गए। सरकार को जब कहीं से ये पता चला कि उम्मेन नहीं चाहते कि चार महीने पहले उन्हें सीएस पद से हटा दिया जाए तो वह हड़बड़ाई। मुख्यमंत्री के रणनीतिकारों ने सलाह दिया कि प्रभारी के तौर पर सुनिल कुमार आखिर कब तक काम करते रहेंगे…इसलिए अब फैसला किया जाए। उधर सुनिल कुमार भी कसमसा रहे थे…उन्हें सीएस बनाने का ऑफर देकर ही छत्तीसगढ़ बुलाया गया था। प्रभारी के तौर पर सुनिल कुमार अपना स्वाभाविक काम नही ंकर पा रहे थे।
तब सरकार ने निर्णय किया कि उम्मेन को हटा कर सुनिल कुमार को नया चीफ सिकरेट्री अपाइंट कर दिया जाए। अमन सिंह ने इस फैसले की सूचना उम्मेन को दी और 10 मिनट बाद सुनिल कुमार के सीएस बनाए जाने का आदेश जारी हो गया।
बताते हैं, सुनिल कुमार को सीएस बनाए जाने के बाद मुख्यमंत्री डॉ0 रमन सिंह ने भी उम्मेन से फोन पर बात की। उन्होंने उन्हें बताया कि उन्हें बिजली बोर्ड का चेयरमैन बना रहे हैं, आप आकर ज्वाईन कर लो। मगर वे अपने फैसले से टस-से-मस नहीं हुए। लोग यहां तक कहते हैं कि रमन सिंह ने उन्हें यहां तक ऑफर दिया था कि जब तक मैं मुख्यमंत्री रहूंगा, आप बिजली बोर्ड के चेयरमैन बने रहेंगे।
मगर उम्मेन छुट्टी से नहीं लौटे। अलबत्ता, वे छत्तीसगढ़ लौटने की बजाए सेंट्रल डेपुटेशन का रास्ता तलाशते रहे। उन्होंने हुडको चेयरमैन बनने के लिए सरकार से एनओसी भी मांगा, जो कि तुरंत मिल गया। मगर हुडको में उनका हुआ नहीं। अंत में वे छुट्टी में ही रिटायर हो गए। उम्मेन बेहद सहज और शरीफ अफसर थे। इसलिए अफसरों को वे भाते थे। किसी का कोई नुकसान नहीं। अफसर भी खुश और सरकार भी। क्योंकि, सरकार जहां बोलती थी, वहां दस्तखत करने में देर नहीं करते थे।
मगर उनके पौने चार साल के सीएस कार्यकाल में छत्तीसगढ़ का प्रशासनिक ढांचा एकदम चरमरा गया था। प्रशासनिक अफसरों पर सिस्टम का कोई नियंत्रण नहीं रह गया था। मुख्य सचिव नाम को औरा खतम हो गया था।
उधर, दो रुपए किलो चावल बांटकर 2008 का विधानसभा चुनाव जीत चुकी रमन सरकार 2013 के चुनाव की तैयारी कर रही थी। उसमें दो साल का वक्त बचा था। सरकार चाहती थी कि कड़ा चीफ सिकरेट्री बिठा प्रशासनिक कसावट का संदेश लोगों को दिया जाए।
इसी रणनीति के तहत जनवरी 2012 में उम्मेन को हटाकर सुनिल कुमार की ताजपोशी की गई। दिलचस्प यह रहा कि उम्मेन को खो कर उनकी कुर्सी पर बैठने वाला भी केरेलियन था। तब चुटकी ली जाती थी कि उम्मेन को यही नागवार गुजरा। सुनिल कुमार की जगह अगर किसी और को सीएस बनाया गया होता तो वे इतने नाराज नहीं हुए होते।
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