IAS News: आईएएस या डकैत! गरीब बच्चों की फीस का 8 करोड़ लेकर निकल गए मगर कमाल का सिस्टम…अफसर का बाल बांका नहीं हुआ
IAS News: रायपुर। छोटे-मोटे चोर अगर चोरी करे तो पुलिस तुरंत कार्रवाई कर जेल भेज देती है मगर आईएएस अगर चोरी करे तो सिस्टम के हाथ कांपने लगते हैं। ऐसा ही कुछ दशक भर पहले छत्तीसगढ़ में हुआ था। सीनियर आईएएस सरकारी खजाने से साढ़े आठ करोड़ निकालकर लेकर घर चले गए…सरकार ने ससम्मान रिटायर कर दिया और आईएएस एसोसियेशन ने उन्हें समारोह आयोजित कर विदा भी कर दिया।
सरकारी खजाने से करोड़ों रुपए की सेंधमारी की यह घटना 11-12 साल पुरानी है। तब 1978 बैच के आईएएस टी0 राधाकृष्णन छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल के चेयरमैन होते थे। माशिमं में बोर्ड परीक्षार्थियों की फीस का पैसा चेयरमैन और सिकरेट्री के ज्वाइंट एकाउंट में रखा जाता है। अक्टूबर 2013 में तत्कालीन बोर्ड सिकरेट्री अनिल राय कुछ दिनों के लिए अवकाश पर गए। चेयरमैन इसी अवसर की ताक में थे। बोर्ड के एकाउंट में करीब साढ़े आठ करोड़ रुपए होने से उनकी नीयत बिगड़ गई थी। अनिल राय के बाहर जाते ही राधाकृष्णन रायपुर के बैरंग बाजार स्थित बोर्ड कैंपस में स्थित यूको बैंक के मैनेजर को बुलाया। उन्हें बताया कि बोर्ड परीक्षा के गोपनीय काम के लिए पैसे की काफी जरूरत है…अगर भुगतान करने में देर होगा तो प्रश्न पत्र और उत्तरपुस्तिकाएं नहीं छप पाएंगी, इसलिए एक चेकबुक उनके नाम अलॉट कर दो। बैंक मैनेजर ने राधाकृष्णन को चेकबुक दे दिया। इससे पहले चेयरमैन आईएएस राधाकृष्णन ने बैंक ऑफ बड़ौदा में चेयरमैन राधाकृष्णन के नाम से पर्सनल एकाउंट खोलवा चुके थे। यूको बैंक से जैसे ही उन्हें चुकबुक मिला, उन्होंने आठ करोड़ रुपए महीने भर में अपने एकाउंट में ट्रांसफर कर लिया।
ऐसे हुआ खुलासा
राज्य सरकार ने छह महीने बाद जब आईएएस केडीपी राव को माशिमं का चेयरमैन बनाया, तब जाकर इसका भंडाफोड़ हुआ। दरअसल, माशिमं के गोपनीय कामकाज के लिए जब पैसे की जरूरत पड़ी तो केडीपी राव ने फायनेंंस अधिकारियों को बुलाकर बात की। अफसरों ने का बताया कि खजाना खाली है। तब इसकी खोजबीन शुरू हुई। इसी बीच बैक आफ बड़ौदा का मैनजर केडीपी राव से मिलने आया। उन्होंने राव से पर्सनल एकाउंट खोलवाने का आग्रह किया। राव बोले, चेयरमैन का पर्सनल एकाउंट कहां खुलता है। इस पर बैंक मैनेजर ने उन्हें बताया कि राधाकृष्णन साहब ने पर्सनल एकाउंट खुलवाया था। तब उनके कान खड़े हो गए। उन्होंने सिकरेट्री अनिल राय को बुलाकर पूछा कि माशिमं चेयरमैन का पर्सनल एकाउंट कैसे खुल सकता है? राधाकृष्णन आर्थिक मामलों में पहले से चर्चित रहे हैं इसलिए केडीपी राव के निर्देश के बाद सिस्टम हरकत में आया। अनिल राय ने यूको बैंक के अफसरों को बुलाकर पूछा तो पता चला कि राधाकृष्णन ने पर्सनल अकाउंट में आठ करोड़ रुपए चेक के जरिये ट्रांसफर किया है। ज्वाइंट अकाउंट का पैसा चेयरमैन के सिग्नेचर से ट्रांसफर कैसे कर दिया? बैंक अफसरों के पास इसका कोई जवाब नहीं था। बैंक ऑफ बड़ौदा से पूछा गया कि राधाकृष्णन ने आठ करोड़ ट्रांसफर किया, उसकी क्या स्थिति है? तो बैंक ने बताया कि ट्रांसफर करने के कुछ दिन बाद ही राधाकृष्णन ने कैश में पूरे पैसे निकाल लिए थे।
जीएडी और पुलिस को शिकायत
माशिमं चेयरमैन केडीपी राव ने पूरे मामले की शिकायत सामान्य प्रशासन विभाग में की। राधाकृष्णन उस समय सबसे सीनियर आईएएस थे। उस समय के चीफ सिकरेट्री सुनिल कुमार उनसे जूनियर थे। अब इतने वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के खिलाफ पुलिस कुछ कर नहीं सकती थी। जीएडी ने दिखावे के लिए जरूर विभागीय जांच बिठा दी। रिटायर इंदिरा मिश्रा को जांच अधिकारी बनाया गया। मगर हुआ कुछ भी नहीं। जाहिर है, उस समय आईएएस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई का रिवाज नहीं था। बोर्ड के सिकरेट्री अनिल राय को बुलाकर इंदिरा मिश्रा ने बयान लिया और उसके बाद फाइल ठंडे बस्ते में चली गई। राधाकृष्णन का न पेंशन रुका और न कोई और पोस्ट रिटायरमेंंट पैसा। बताते हैं, केडीपी राव ने माशिमं चेयरमैन के साथ ही यूको बैंक के प्रबंधकों के खिलाफ भी रिपोर्ट दी थी कि बिना बैंक के मिलीभगत के यह स्कैम संभव नहीं था।
दो बार सस्पेंड
आईएएस राधाकृष्णन देश के चुनिंदा आईएएस अधिकारियों में शामिल होंगे, जो दो बार सस्पेंड हुए। एक बार छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड में अनाप-शनाप बिल पास करने को लेकर उन्हें निलंबित किया गया था। पर्यटन बोर्ड में राधाकृष्णन ने एक ही दिन में सुबह रायपुर, दोपहर चेन्नई, शाम को मुंबई और रात में बेगलुरू पहुंचने का कमाल किया था। याने फ्लाइट और होटल के बिल में भारी गड़बड़ी किया था। एक दिन में उन्होंने चार से पांच हजार किलोमीटर सफर करने का कारनामा देखकर लोग हतप्रभ रह गए थे। आरटीआई में खुलासे के बाद मीडिया में जब यह खबर सुर्खिया बनी तो सरकार ने उन्हें सस्पेंड कर दिया था। इसके बाद राजस्व बोर्ड के चेयरमैन रहते छत्तीसगढ़ के कलेक्टर त्राहि माम करने लगे थे। राधाकृष्णन ने कलेक्टरों के सैकड़ों आदेशों को बदल डाला। आदिवासियों की जमीनों को गैर आदिवासियों को बेचने का सबसे अधिक मामले उनके कार्यकाल में हुए। उस समय कहा जाता था पैसा लेकर जाइये और राजस्व बोर्ड से मनमाफि आदेश ले आईये। जब पानी सिर के उपर से बहने लगा तो राज्य सरकार ने उन्हें सस्पेंड किया। याने दो बार निलंबन।
क्या बोले केडीपी राव
1988 बैच के आईएएस केडीपी राव अब रिटायर हो चुके हैं। एनपीजी न्यूज ने उनसे इस बारे में बात की तो उन्होंने कहा कि आठ करोड़ रुपए गबन की जांच रिपोर्ट मैंने माशिमं चेयरमैन रहते समय ही सरकार को सौंप दी थी, उसके बाद क्या हुआ, मुझे नहीं मालूम। माशिमं के सिकरेट्री अनिल राय आईएफएस अधिकारी रहे हैं। वे भी रिटायर हो चुके हैं। उन्होंने एनपीजी न्यूज को बताया कि जांच अधिकारी इंदिरा मिश्रा ने उन्हें एक बार पूछताछ के लिए बुलवाया था, उसके बाद क्या हुआ, उन्हें कुछ नहीं पता।
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