Dussehra 2024: यहां होती है रावण की पूजा, यहां के कहलाते हैं दामाद, देश में और भी कुछ जगहें जहां नहीं होता रावण दहन

रायपुर, एनपीजी न्यूज। दशहरा बुराई पर अच्छाई की विजय का पर्व है। 10 दिनों तक चले युद्ध के बाद भगवान श्रीराम ने लंकापति रावण का वध कर बुराई का अंत किया था। इस मौके पर वैसे तो पूरे देश में रावण दहन किया जाता है, लेकिन देश में ऐसी कई जगहें हैं, जहां रावण का दहन नहीं बल्कि उसकी पूजा की जाती है। आज हम आपको इन्हीं जगहों के बारे में बताएंगे।
मंदसौर है रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका
रावण की पत्नी मंदोदरी थी। वो लंका की महारानी थी। मंदोदरी अतुल्य सौंदर्य की स्वामिनी होने के साथ-साथ बहुत बुद्धिमान थी, साथ ही उसके नैतिक मूल्य भी बहुत ऊंचे थे। माना जाता है कि वो मध्यप्रदेश के मंदसौर की रहने वाली थीं, जो पहले मन्दोत्तरी कहलाता था। इस वजह से मंदसौर रावण की ससुराल है।

दशहरे के दिन रावण की मंदसौर में होती है पूजा
मंदसौर में नामदेव समाज की महिलाएं आज भी रावण की मूर्ति के सामने घूंघट करती हैं। यहां दामाद मानकर रावण की पूजा भी की जाती है और उसके पैरों पर धागा भी बांधा जाता है। जिसके पीछे ये मान्यता है कि रावण के पैरों में धागा बांधने से बीमारियां दूर होती हैं। यहां दशहरे के दिन रावण की पूजा की जाती है।
रावण की 42 फीट ऊंची प्रतिमा की पूजा
मंदसौर में रावण की एक विशालकाय मूर्ति भी है, जिसकी लोग पूजा करते हैं। नामदेव समाज शहर के खानपुरा में सीमेंट से बनी रावण की 42 फीट ऊंची प्रतिमा की पूजा करता है।
मालवा में भी रावण के सामने घूंघट करती हैं महिलाएं
इसके अलावा मध्य प्रदेश के मालवा में भी रावण को दामाद माना जाता है और यहां की महिलाएं रावण के सामने घूंघट करती हैं। यहां मनोकामना पूरी होने पर रावण को तरह-तरह के भोग भी लगाए जाते हैं।
विदिशा में है रावण गांव
मध्य प्रदेश के विदिशा जिले की नटेरन तहसील में है रावण गांव। यहां रावण को लोग बाबा बुलाते हैं। यहां रावण का मंदिर है। किसी भी शुभ काम से पहले रावण बाबा की पूजा होती है। रावण गांव में रावण की लेटी हुई विशालकाय प्रतिमा है। ये मंदिर परमारकालीन है। इस मंदिर में रावण की आरती भी लिखी हुई है। इस गांव के लोग दशहरे को उत्सव के रूप में मनाते हैं और रावण की पूजा करते हैं।
मध्यप्रदेश के अलावा इन राज्यों में भी नहीं होता रावण दहन
उत्तराखंड के कांगड़ा में नहीं जलाया जाता रावण
उत्तराखंड के कांगड़ा में रावण को नहीं जलाया जाता। दरअसल माना जाता है कि यहीं पर रावण ने शिवजी की कठोर तपस्या की थी, इसलिए यहां के लोग रावण को बहुत बड़ा शिवभक्त मानकर उसका सम्मान करते हैं।
राजस्थान के मंदोर में नहीं होता रावण दहन
राजस्थान के मंदोर में भी रावण दहन नहीं होता है। इसे रावण की पत्नी मंदोदरी के पिता की राजधानी माना जाता है। माना जाता है कि रावण और मंदोदरी की शादी यहीं हुई थी, इसलिए यहां के लोग भी रावण को अपना दामाद मानकर सम्मान करते हैं।
महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में नहीं होता रावण दहन
महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में भी रावण दहन नहीं होता है। यहां गोंड जनजाति के लोग खुद को रावण का वंशज मानते हैं। वे रावण की पूजा करते हैं। उनके अनुसार सिर्फ तुलसीदास रचित रामायण में रावण को बुरा दिखाया गया है, जो गलत है।
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