Bilaspur Ram Sita Hanuman Temple: 150 साल पुराना एक ऐसा मंदिर, जिसका पट खुलता है सिर्फ विजयादशमी के दिन…

Bilaspur Ram Sita Hanuman Temple: 150 साल पुराना एक ऐसा मंदिर, जिसका पट खुलता है सिर्फ विजयादशमी के दिन…

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Bilaspur Ram Sita Hanuman Temple: बिलासपुर। शनिवार को विजयादशमी का पर्व है। यह पर्व अपने आप में ही विशेष महत्व का है। विजयादशमी का पर्व बिलासपुर के साथ ही छत्तीसगढ़ और अन्य प्रांत के भक्तों के लिए बेहद खास है। जूना बिलासपुर के हटरी चौक में 150 साल पुराना राम सीता हनुमान मंदिर में दर्शन के लिए लोगों को पूरे साल दशहरा पर्व का इंतजार रहता है।

मंदिर की खासियत ये कि सालभर में महज कुछ घंटों के लिए दशहरा के दिन दोपहर बाद मंदिर का पट खुलता है। मंदिर का पट खुलने के बाद सबसे पहले परिवार के सदस्य पूजा अर्चना करते हैं। उसके बाद श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाता है। मंदिर का पट शाम छह से नौ बजे तक खुला रहता है। जैसे ही घड़ी में नौ बजता है, मंदिर का पट बंद कर दिया जाता है।

श्रद्धालुओं को यह बात अच्छी तरह पता होता है कि राम सीता हनुमान मंदिर का पट सीमित समय के लिए खुलता है लिहाजा दर्शन के लिए खुद ही अनुशासन बनाते हैं और कतार में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करते रहते हैं। हटरी चौक में मंदिर होने और मेन रोड होने के कारण शाम के वक्त ट्रैफिक भी ज्यादा हो जाता है। इसे देखते हुए श्रद्धालु सड़कों के किनारे खुद ही कतार में खड़े हो जाते हैं।

0 अन्य प्रांतों से फोन कर लेते हैं जानकारी

दशहरा के दिन मंदिर का पट खुलेगा या नहीं है इसे लेकर दूसरे प्रांतों से श्रद्धालुओं का फोन भी आने लगता है। कोराेना संक्रमण काल के दौरान ऐसे ही हुआ था। तब यूपी के अलावा महाराष्ट्र,दिल्ली व मध्यप्रदेश के अलग-अलग शहरों से श्रद्धालुओं के लगातार फोन आ रहे थे।

0 विजयादशमी के दिन ही क्यों खुलता है मंदिर का पट

मंदिर का निर्माण पांडेय परिवार ने कराया है। इनके पूर्वज पहले उत्तरप्रदेश के फैजाबाद के निवासी थे। फैजाबाद से बिलासपुर आ गए थे। तकरीबन 150 साल पहले राम सीता हनुमान मंदिर की स्थापना की थी। एक किवदंति यह भी है कि जहां मंदिर का निर्माण कराया है वहां पहले विशाल नीम का पेड़ हुआ करता था। पेड़ हरा भरा था। फिर सूखने लगा और फिर सुखकर गिर गया। पेड़ की जड़ों से भगवान श्रीराम,जानकी और लक्ष्मण की प्रतिमा निकली। प्रतिमाओं को स्थापित करने के लिए उसी स्थान पर मंदिर का निर्माण कराया और प्राण प्रतिष्ठा की गई। विजयादशमी के दिन रामलला माता जानकी,भाई लक्ष्मण और भक्त हनुमान के साथ प्रसन्नचित मुद्दा में रहते हैं। कहते हैं कि इस दिन दर्शन करने से मन की इच्छाएं पूरी होती है। इसलिए सिर्फ विजयादशमी के अवसर पर ही तीन घंटे के लिए मंदिर का पट खुला रहता है। मन्नत मांगने वाले मंदिर परिसर में नारियल बांधते हैं। मांगी मुराद पूरी हाेने पर दशहरा के दिन आकर अपना नारियल फोड़ते हैं।

0 पहचान के लिए बनाते हैं निशान

श्रद्धालू लाल कपड़े में मंदिर परिसर में नारियल बांधते हैं। परिसर में सैकड़ों की संख्या में नारियल बंधा रहता है, लिहाजा पहचान के लिए लाल कपड़े में जिसमें नारियल को बांधते हैं पहचान के लिए निशान बनाते हैं। मन्नतें पूरी हाेने के बाद अपने नारियल को पहचान कर उसे मंदिर परिसर में फोड़ते हैं और प्रसाद का वितरण करते हैं।

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