Bilaspur News: न्यायधानी में पूरे तीन दिन बजता रहा कानफोड़ू डीजे, इधर संचालकों ने पुलिस पर ही फोड़ दिया ठिकरा
Bilaspur News: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने जनहित याचिका की पिछली सुनवाई के दौरान डीजीपी को दोटूक कहा था कि किसी भी हालत में कानफोड़ू डीजे नहीं बजना चाहिए। डीजीपी ने शपथ पत्र देकर कोर्ट को आश्वस्त किया था कि प्रदेशभर के पुलिस अधीक्षकों को सीधे जिम्मेदार ठहराया गया है।
कोर्ट के निर्देशों की हर हाल में पालन किया जाएगा। दुर्गा विसर्जन के दौरान न्यायधानी में डीजीपी द्वारा कोर्ट में दिए गए आश्वासन तार-तार हो गया। पूरे तीन दिन डीजे की शोर शहर के भीतर और बाहर गूंजती रही। तब सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों ने शिकायत भी दर्ज कराई थी। यह सुनने में आया कि दबाव के आगे पुलिस प्रशासन बेबस हो गई है।
सोमवार को तीन जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। कोर्ट ने ध्वनि प्रदूषण मामले में सुनवाई करते हुए पुलिस प्रशासन के आला अफसरों को कानून के अनुसार कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही डीजे संचालकों द्वारा फैलाए जा रहे ध्वनि प्रदूषण पर कड़ी नजर रखने को कहा है। रायपुर के आरटीआइ एक्टिविस्ट राकेश चौबे ने इसी मामले में एक हस्तक्षेप याचिका दायर की है। इसे हस्तक्षेप आवेदन के रूप में स्वीकार कर डिवीजन बेंच ने 28 अक्टूबर को सुनवाई करने का निर्देश दिया है।
इससे पूर्व नागरिक संघर्ष समिति रायपुर और कई अन्य नागरिकों ने आम त्योहारों और शादी समारोहों में तेज आवाज के साथ बजाए जाने वाले डीजे को लेकर हाई कोर्ट में जनहित याचिका पेश की थी। कानफोडू शोर के कारण एक छोटे बच्चे की मौत होने की खबर को भी हाई कोर्ट ने संज्ञान में लिया था।
सोमवार को हुई सुनवाई में डीजे संचालकों की ओर से कहा गया कि पुलिस परेशान करती है। इस पर कोर्ट ने कहा कि पुलिस केवल निर्धारित कानून के अनुसार ही कोई भी कार्रर्वाई करे। सुनवाई के दौरान लेज़र लाइट का मुद्दा भी याचिकाकर्ताओं की ओर से उठाया गया। कहा कि इस लाइट से भी आम लोग परेशान होते हैं। सुनवाई में राकेश चौबे आरटीआई एक्टिविस्ट ने एक हस्तक्षेप याचिका दायर की है। इसे कोर्ट ने एक एप्लीकेशन के तौर पर मंजूर किया है।
ऑनलाइन पोर्टल बनाने की मांग
पूर्व में एक जनहित याचिका नागरिक संघर्ष समिति डॉक्टर राकेश गुप्ता ने भी दायर की थी। सामाजिक कार्यकर्ता राकेश चौबे द्वारा अधिवक्ता हिमांशु रस्तोगी के माध्यम से दायर हस्तक्षेप याचिका में मांग की है कि दिल्ली की तर्ज पर छत्तीसगढ़ स में भी शिकायत के लिए एक वेबसाइट बनाया जाए। दूसरे राज्यों में इस तरह की व्यवस्थाएं है। याचिका में यह भी आरोप लगाया है कि ध्वनि प्रदूषण को लेकर राज्य सरकार के पास लगातार शिकायतें आ रही है, राज्य सरकार इस दिशा में गंभीर दिखाई नहीं दे रही है और ना ही ठोस कार्रवाई हो रही है।
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