Bilaspur High Court: RTI के संबंध में हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला- हर एक संस्था को देनी होगी जानकारी

Bilaspur High Court: बिलासपुर। सूचना के अधिकारी आरटीआई के संबंध में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने बिलासपुर कुदुदंड स्थित चर्च ऑफ़ क्राईस्ट मिशन से संबंधित एक मामले में कुछ इस तरह व्यवस्था दी है।
मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने संस्था को निर्देशित किया है कि अगर कोई व्यक्ति सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत विधिवत आवेदन पेश करता है तो उसे जानकारी देनी होगी। संस्था ने यह कहते हुए जानकारी देने से इन्कार कर दिया था कि उसे केंद्र व राज्य शासन से किसी तरह का कोई अनुदान नहीं मिलता है।
जानकारी मांगने वाला व्यक्ति संस्था से संबंधत नहीं है। कोर्ट ने साफ कहा है कि यदि कोई व्यक्ति अधिनियम 2005 के तहत कोई जानकारी मांगता है तो इस अधिनियम,के अन्तर्गत याचिकाकर्ता सोसायटी सूचना देने के लिए उत्तरदायी होगी।
चर्च ऑफ़ क्राईस्ट मिशन द्वारा कुदुदंड बिलासपुर में संचालित अलग-अलग प्राथमिक शाला और शेफर स्कूल के आय-व्यय का ब्यौरा लेने संस्था के बाहर के एक व्यक्ति ने संस्था में आरटीआई के तहत जानकारी मांगी थी। इसे संस्था ने देने से यह कहकर इंकार कर दिया था कि, यह कोई शासकीय संस्थान नहीं है। इसके अलावा इसे कोई अनुदान भी नहीं मिलता है।
बाद में शिकायतकर्ता का निधन भी हो गया। संस्था द्वारा सूचना नहीं प्रदान करने पर संस्था के बाहर के सदस्यों ने सूचना आयोग में आवेदन पेश किया था। मामले की सुनवाई के बाद सूचना आयोग ने संस्था को नोटिस जारी कर जानकारी नहीं देने पर 10 हजार रुपये का जुर्माना ठोंका था।
सूचना आयोग के फैसले को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता संस्था ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई जस्टिस एके प्रसाद की सिंगल बेंच में सुनवाई हुई। संस्था की ओर से पेश जवाब में कहा कि गैर अनुदान प्राप्त संस्थान होने के कारण आय-व्यय का लेखा-जोखा सूचना के अधिकार में नहीं दिया जा सकता है। आरटीआई के तहत जानकारी मांगने वाला आवेदनकर्ता संस्था का सदस्य भी नहीं है।
हाई कोर्ट ने दिया महत्वपूर्ण फैसला
सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता की पहले ही मृत्यु हो चुकी है। सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत दायर आवेदन के अनुसार कोई भी जानकारी देने के लिए संस्था उत्तरदायी नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि भविष्य में यदि कोई व्यक्ति अधिनियम 2005 के तहत कोई जानकारी मांगता है तो संबंधित सोसायटी सूचना देने के लिए उत्तरदायी होगी। इसके साथ ही याचिका को कोर्ट ने निराकृत कर दी है।
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