Bilaspur High Court: रायपुर के बहुचर्चित अपहरण व हत्या के मामले में आया हाई कोर्ट का फैसला

Bilaspur High Court: रायपुर के बहुचर्चित अपहरण व हत्या के मामले में आया हाई कोर्ट का फैसला

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Bilaspur High Court: बिलासपुर। निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली अपील पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। डिवीजन बेंच ने निचली अदालत के फैसले को सही ठहराते हुए अपील को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है कि परिस्थितिजन्य साक्ष्य की श्रृंखला को अभियोजन ने बिना किसी चूक के पूरी तरह स्थापित किया है।

मामले की सुनवाई करते हुए डिवीजन बेंच ने परिस्थितिजन्य साक्ष्य के बारे में स्थापित सिद्धांतों को दोहराया है। कोर्ट ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण निर्णयों का उल्लेख भी किया है। कोर्ट ने कहा कि परिस्थितिजन्य साक्ष्य की एक ऐसी श्रृंखला बनानी चाहिए जो इतनी पूर्ण हो कि उसमें अभियुक्त के अपराध के अलावा किसी अन्य परिकल्पना के लिए कोई जगह न बचे। परिस्थितियों को पूरी तरह से स्थापित किया जाना चाहिए और सभी तथ्य अपराध की परिकल्पना के साथ इतने सुसंगत होने चाहिए कि वे निर्दोषता की किसी भी संभावना को नकार दे।तर्क को खारिज करते हुए कि परिस्थितिजन्य साक्ष्य उनके अपराध की ओर निर्णायक रूप से इशारा नहीं करते हैं।

डिवीजन बेंच ने विशेष रूप से नोट किया कि अमृत शर्मा के उस बयान को अविश्वसनीय माना है जिसमें उसने अज्ञात हमलावरों द्वारा उसके घर में घुसने और उसके चचेरे भाई के साथ उसे बांधकर रखा गया था। मृतक प्रकाश शर्मा का शव अमृत के कमरे में मिला था। भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 106 के तहत अपने आपको निर्दोष साबित करने की जिम्मेदारी अमृत की थी। अपराध से बचने के लिए झूठा बयान दिया है जो किसी भी तरह से भरोसे के लायक नहीं है।

क्या था मामला

16 अप्रैल, 2018 को रायपुर में मृतक प्रकाश शर्मा के चचेरे भाई अमृत शर्मा ने भोजराज नंद,अनिल कुमार बेहरा और चित्रसेन बेहरा के साथ मिलकर फिरौती के लिए प्रकाश का अपहरण करने की साजिश रची। उनका इरादा प्रकाश के पिता सत्यनारायण शर्मा से 2 करोड़ रुपये बतौर फिरौती वसूलने का था। लेकिन उनकी योजना तब विफल हो गई जब उन्होंने प्रकाश को क्लोरोफॉर्म दिया, जिससे दम घुटने से उसकी मौत हो गई। सभी आरोपियों को छठे अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, रायपुर ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या), 120 बी (आपराधिक साजिश) और 34 (साझा इरादे से कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कृत्य) के तहत दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

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