Bilaspur High Court: छत्तीसगढ हाई कोर्ट में फर्जी OIC: नाराज महाधिवक्ता ने चीफ सिकरेट्री को लिखा पत्र, बोले…अफसरों पर कार्रवाई की जाए, पढ़िये उनका लेटर…
Bilaspur High Court: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के अधिकारियों ने कमाल कर दिया। हाई कोर्ट की नोटिस के बाद महाधिवक्ता कार्यालय ने जल संसाधन विभाग के ओआईसी को जवाब फाइल कराने तलब किया। उसने अपनी जगह दूसरे को नकली ओआईसी बनाकर एजी आफिस भेज दिया। अतिरिक्त महाधिवक्ता ने जब जरुरी दस्तावेजों के संबंध में जानकारी मांगी तब पोल खुल गई। धोखाधड़ी से नाराज महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत ने चीफ सिकरेट्री को पत्र लिखकर दोनों अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करने कहा है। एजी आफिस में जवाब दावा बनवाने के लिए अब शासन द्वारा नियुक्त ओआईसी को ही भेजने की बात कही है।
0 क्या है मामला
रिट याचिकाओं की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया था। हाई कोर्ट के निर्देश के परिपालन में शासन द्वारा नियुक्त संबंधित विभाग के ओआईसी को महाधिवक्ता कार्यालय ने जवाब दावा बनवाने के लिए सूचना दी थी। सुरेश कुमार पांडे, ईई, डब्ल्यूआरडी, तांदुला डिवीजन, दुर्ग को राज्य शासन ने सभी मामलों में प्रभारी अधिकारी के रूप में कार्य करने के लिए अधिकृत किया। 25 जनवरी 2024 को फ़ाइल संबंधित प्रभारी अधिकारी को आवंटित की गई थी और उसके बाद, 25 सितंबर 2024 को जवाब-दावा तैयार किया गया था।
0 प्रभारी अधिकारी बनकर महाधिवक्ता कार्यालय पहुंचे दूसरे अफसर
26 सितंबर 2024 को प्रदीप कुमार वासनिक, ईई, डब्ल्यूआरडी, कोरबा सभी संदर्भित मामलों में सुरेश कुमार पांडे बनकर जवाब-दावा बनवाने महाधिवक्ता कार्यालय पहुंचे। महाधिवक्ता कार्यालय के ला अफसरों ने ओआईसी सुरेश पांडेय समझकर जरुरी और महत्वपूर्ण फाइल प्रदीप वासनिक के हवाले कर दिया। हाई कोर्ट के लिए रिटर्न फाइल करने के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता ने जब जरुरी दस्तावेजों और शासन के दिशा निर्देशों के बारे में पूछा तो प्रदीप वासनिक जवाब नहीं दे सके। आखिरकार उन्होंने स्वीकार किया कि वे जवाब फाइल कराने के लिए सुरेश कुमार पांडेय बनकर महाधिवक्ता कार्यालय पहुंचे हैं। वास्तव में वह प्रदीप वासनिक हैं।
0 महाधिवक्ता ने जताई नाराजगी
महाधिवक्ता कार्यालय के ला अफसरों के साथ राज्य शासन के विभाग के दो जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा की गई धोखाधड़ी को महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत ने गंभीरता के साथ लिया है। महाधिवक्ता ने मुख्य सचिव को लिखे पत्र में इस बात को लेकर नाराजगी जताई है। यह भी लिखा है दो जिम्मेदार अफसरों द्वारा महाधिवक्ता कार्यालय से की गई धोखाधड़ी के कारण जवाब भी फाइल नहीं हो सका है। एजी ने लिखा है कि जल संसाधन विभाग के दोनों अफसर सुरेश कुमार पांडेय और प्रदीप वासनिक का कृत्य बेहद निंदनीय है। एजी ने कहा है कि यह एक ऐसा कृत्य है जो न केवल न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप के बराबर है बल्कि धोखाधड़ी भी है। प्रदीप कुमार वासनिक की उपरोक्त कार्रवाई प्रतिरूपण द्वारा धोखाधड़ी के बराबर है जो भारतीय न्याय संहिता-2023 के प्रावधानों के तहत दंडनीय अपराध है।
0 यह गंभीर चूक, राज्य को भी पहुंच सकता है नुकसान
एजी प्रफुल्ल भारत ने चीफ सिकरेट्री को लिखे पत्र में यह भी कहा है कि महाधिवक्ता कार्यालय में, हमारे पास कोई पहचान प्रक्रिया नहीं है। विभाग द्वारा प्रभारी अधिकारी को जारी किए गए पत्र पर, फाइलें सौंप दी जाती हैं। प्रभारी अधिकारी द्वारा दिए गए तथ्यात्मक निर्देशों के अनुसार, रिटर्न तैयार किया जाता है। ऐसे मामले हो सकते हैं जिनमें प्रभारी अधिकारी के अलावा किसी अन्य व्यक्ति ने मामले में रिटर्न दाखिल किया होगा जिससे राज्य को नुकसान हो सकता है।
0 एजी आफिस में अब ऐसी रहेगी व्यवस्था
प्रदीप कुमार वासनिक और सुरेश कुमार पांडे के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध किया जाता है, जिन्होंने वासनिक को अपनी जगह महाधिवक्ता कार्यालय भेज दिया। महाधिवक्ता ने सीएस से दो टूक कहा कि राज्य शासन द्वारा विभागवार नियुक्त ओआईसी ही रिटर्न फाइल कराने के लिए महाधिवक्ता कार्यालय आएंगे। किसी अन्य व्यक्ति को रिटर्न फाइल कराने आने की अनुमति नहीं दी जाएगी। निर्देश का उल्लंघन करते पाए जाने पर संबंधित के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 319 के प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। महाधिवक्ता कार्यालय के साथ धोखाधड़ी करने के लिए प्रदीप कुमार वासनिक और सुरेश कुमार पांडे के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने और कार्यालय को सूचित करने की बात एजी ने सीएस से कही है। एजी के पत्र की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पत्र में लिखी गई बातों को गंभीरता के साथ लेने कहा है।
0 तीन याचिकाओं पर हाई कोर्ट में हो रही सुनवाई
महेश गिरी व अन्य,अनिल कुमार दुबे व जीएल. साहू ने अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में अलग-अलग याचिका दायर की है। तीनों याचिकाओं पर हाई कोर्ट में एकसाथ सुनवाई हो रही है। याचिकाकर्ताओं ने जल संसाधन विभाग के खिलाफ राहत की मांग की है।
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