Bilaspur Dhoomawati Mandir: देवी का ऐसा मंदिर जहां भक्त मिर्ची भजिया का प्रसाद चढ़ा चिट्ठी लिख मांगते हैं मन्नत…

Bilaspur Dhoomawati Mandir: देवी का ऐसा मंदिर जहां भक्त मिर्ची भजिया का प्रसाद चढ़ा चिट्ठी लिख मांगते हैं मन्नत…

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Bilaspur Dhoomawati Mandir: बिलासपुर। बिलासपुर में मां धूमावती का एक ऐसा मंदिर है जहां देवी मां को प्याज लहसुन अदरक से बने व्यंजन भक्त चढ़ाते हैं। मिर्ची भजिया प्याज भजिया मां के पसंद के पकवान यहां माने जाते हैं। भक्त मिर्ची भजिया और प्याज भजिया चढ़ा कर अपनी मनौती चिट्ठी में लिख मां के चरणों में अर्पित करते हैं। जिससे भक्तों की मनोकामना पूरी होती है। माना जाता है कि मां धूमावती भक्तों के कष्ट तीन दिनों में हर लेती है। नवरात्रि में यहां भक्तों का ताता लगा हुआ है और बड़ी संख्या में ज्योति कलश भी प्रज्वलित किए गए हैं।

बिलासपुर शहर में अरपा नदी के किनारे बसे चिंगराजपारा में मां धूमावती का मंदिर स्थित है मंदिर की स्थापना सन 1965 में भारत और चीन के युद्ध के समय की गई थी इस मंदिर का इतिहास भी भारत और चीन से जुड़ा हुआ है जब 1962 में युद्ध के समय चीन भारत पर भारी पड़ रहा था तब मध्य प्रदेश के दतिया में महंत देवानंद ने धूमावती माता का अनुष्ठान कर मंदिर की स्थापना की थी। पीतांबरा पीठ धूमावती माता की स्थापना भारत चीन युद्ध के समय देश की रक्षा के लिए की गई थी। मंदिर के अनुष्ठान और माता की पूजा के तीन दिनों बाद ही बॉर्डर पर स्थितियां सामान्य हुई और चीन की सेना भारत की ओर बढ़ने से रुक गई। सबसे दतिया में माता के मंदिर की धूमावती देवी के रूप में पूजा पाठ की जाने लगी।

2005 में हुई बिलासपुर में मंदिर की स्थापना:–

बिलासपुर में पीतांबरा पीठ के रूप में वर्ष 2005 में धूमावती माता की स्थापना सरकंडा परिक्षेत्र में अरपा नदी से लगे चिंगराजपारा में हुई थी। जब से मंदिर स्थापित हुआ यहां की परंपरा है कि भक्त अपनी गुहार माता के चरणों में चिट्ठी लिखकर चढ़ाते हैं। चिट्ठी को मंदिर के

महान पढ़ कर माता को सुनाते हैं। भक्तों की गुहार पूरा होने के बाद भक्ति माता को मिर्ची भजिया, प्याज भजिया का प्रसाद लगाते हैं। इसके अलावा माता को प्याज व लहसुन से बनी चीजें पसंद हैं। जलेबी पूरी हलवे और दही बड़े का प्रसाद भी माता को चढ़ाया जाता है।

बूढ़ी महिला के रूप में मां देती हैं दर्शन:–

मां धूमावती अपने भक्तों को एक बूढ़ी साधारण महिला के रूप में दर्शन देती है। पूरे देश भर में इस तरह की यह प्रतिमा मध्य प्रदेश के दतिया में और बिलासपुर जिले में ही स्थापित है।मनोकामनाएं पूरी होने के बाद भक्तों के द्वारा चढ़ाई गई चिट्ठी को अमरकंटक में ले जाकर नर्मदा नदी में बहा दी जाती है। मंदिर परिसर में अनेक देवी देवताओं की प्रतिमा है। शंकर भगवान का भी मंदिर यहां स्थापित है। जिसके चलते मंदिर में शिव–शक्ति का वास माना जाता है।

सपने में आकर देवी ने मंदिर स्थापना के लिए दिए थे निर्देश, सती के 10 रूपों में से एक मानी जाती है मां:–

मां धूमावती को मां सती के 10 रूपों में एक माना जाता है। बिलासपुर के चिंगराजपारा माता की स्थापना से पहले मंदिर परिसर में भगवान शिव हनुमान और मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित थी। यह मंदिर सन 1985 से बना हुआ था। मंदिर में इलाहाबाद की चंडी पत्रिका आती थी। पत्रिका में पत्रिका के संपादक रमादत्त शुक्ला के द्वारा मां धूमावती की महिमा के संबंध में लिखे गए लेख प्रकाशित होते थे। जिसे पढ़ कर मंदिर के महंत देवानंद के मन में माता के प्रति श्रद्धा जागी। और पंडित देवानंद 1990 से दतिया में मां के दर्शन के लिए प्रति वर्ष जाने लगे। 2003 तक में लगातार दतिया गए। 2003 में माता ने उन्हें स्वप्न में आकर प्रेरणा दि कि मैं स्वयं बिलासपुर में स्थापित होना चाहती हूं। उसके बाद 2005 में देवी की प्रतिमा बिलासपुर के चिंगराजपारा स्थित मंदिर में बसंत पंचमी के दिन देश के विद्वान पंडितों को बुलाकर स्थापित की गई। 11 दिनों तक स्थापना हेतु अनुष्ठान किया गया।

मां पार्वती के मुंह से धुंए के रूप में निकले थे महादेव:–

प्राचीन मान्यताओं के अनुसार महादेव एक बार आराधना में लीन थे। तब मां पार्वती को भूख लगी और उन्होंने महादेव से कुछ खिलाने के लिए कहा महादेव ने उन्हें थोड़ी देर इंतजार करने के लिए कहा। मां पार्वती ने अपना मुंह खोलकर सबको निकाल शुरू कर दिया। जिससे हैरान भगवान शिव मां पार्वती के सामने खड़े हो गए और ग्रुप शांत करवाने की कोशिश करने वालों पर माता ने भगवान शिव को ही निगल लिया। थोड़ी देर बाद जब मन का क्रोध शांत हुआ तब वे भगवान शिव को ढूंढने लगी। तब भगवान शिव ने मां के भीतर से ही मां पार्वती को आवाज देकर कहा कि पार्वती में हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा जब तक तुम रहोगी तब तक मैं रहूंगा। मां पार्वती ने तो विधवा वृद्ध का रूप धारण कर लिया और भगवान शिव को धुएं के रूप में मुंह से बाहर निकाला। भगवान शिव ने कहा कि पार्वती तुम धुएं में बहुत सुंदर लग रही हो। तब से मां पार्वती धूमावती देवी के रूप में प्रसिद्ध हो गई। माता मंदिर में सफेद साड़ी, साल में विराजती हैं। मां को सफेद पुष्प और सफेद चंदन में देखा जाता है। मां का अस्त्र सूपा है। इसी तरह मां का वाहन काला कौवा है। कौवे की सवारी इस मंदिर के अलावा और कहीं नहीं दिखती। 2 फीट की मूर्ति के सामने रखें सूपे में भक्त अपनी अर्जी चिट्ठी में लिख कर चढ़ाते हैं।

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