खसरा-बटांकन में रायगढ़ जिला छत्तीसगढ़ में नंबर-1, जमीनों की धोखाधड़ी रोकने रेवेन्यू रिकार्ड अपडेट का सबसे फास्ट काम

खसरा-बटांकन में रायगढ़ जिला छत्तीसगढ़ में नंबर-1, जमीनों की धोखाधड़ी रोकने रेवेन्यू रिकार्ड अपडेट का सबसे फास्ट काम

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रायपुर। छत्तीसगढ़ में इससे पहले राजस्व पर कभी काम नहीं हुआ। यही वजह रही कि पटवारियों की मनमानी चलती रही। राज्य सरकार ने वाहवाही लुटने के लिए भुइया साफ्टवेयर बनाया मगर इसके बाद फिर कभी सुध नहीं ली कि आम लोगों को उसका फायदा मिल रहा या नहीं।

पटवारी समेत राजस्व विभाग के मुलाजिम इसी का फायदा उठाते रहे। जमीनों का रिकार्ड दुरूस्त करने के लिए भुइया साफ्टवेयर तो बन गया मगर उसमें नक्शा याने बटांकन की स्थिति क्लियर नहीं की जाएगी तो फिर उसका कोई मतलब नहीं।

आम आदमी को जमीनों की रजिस्ट्री कराना होता है तो पटवारी के यहां भागता है नक्शे की नकल निकालने के लिए। ये इसलिए होता है कि रिकार्ड में पटवारी बटांकन नहीं करते। याने जमीन की रजिस्ट्री करने पर नामंतरण तो हो जाता है मगर उसके बाद पटवारियों द्वारा बटांकन करना चाहिए, वो होता नहीं।

उदाहरण के लिए समझिए…मोहन के पास तीन एकड़ जमीन है। सोहन ने उसमें से दो एकड़ की रजिस्ट्री कराई। उसका नामंतरण भी करा लिया। इसके बाद वह यह समझकर निश्चिंत हो गया कि अब मेरे नाम पर जमीन चढ़ गई है, अब क्या कोई दिक्कत नहीं।

मगर पटवारी ने नामंतरण के बाद अपने नक्शे में उसका बटांकन नहीं किया। इसका फायदा उठाकर राम उस दो एकड़ को किसी तीसरे पार्टी को रजिस्ट्री कर देगा। अगर बटांकन हो गया होता तो ऑनलाईन दिख जाता कि इस दो एकड़ को मोहन पहले ही सोहन को बेच चुका है।

फिर अगर बटांकन हो जाएगा तो ऑनलाईन उसका नकल निकल जाएगा। फिर रजिस्ट्री से पहले आदमी पटवारी के घर दौड़ता है, उसकी जरूरत ही नहीं पड़ेगी। इस कारण पटवारी भी नहीं चाहते कि बटांकन हो। अगर सब कुछ ऑनलाइन हो जाएगा तो फिर पटवारियों की कमाई बंद हो जाएगी।

बीजेपी की नई सरकार ने राजस्व रिकार्ड अपडेट करने को टॉॅप प्रायरिटी पर रखा। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कलेक्टर कांफ्रेंस में कलेक्टरों से इस पर सवाल-जवाब किया। इससे पहले कभी कलेक्टर कांफ्रेंस का ये एजेंडा नहीं रहा।

छत्तीसगढ़ में राजस्व रिकार्ड दुरूस्तीकरण का काम सबसे अधिक तेजी से रायगढ़ में चल रहा है। मंत्री ओपी चौधरी ने रायगढ़ के अफसरों की पहली मीटिंग में ही निर्देश दिए थे कि राजस्व रिकार्ड अपडेट करने का काम सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ किया जाए।

कलेक्टर कार्तिकेय गोयल ने इसके बाद मुहिम छेड़ दी। और अभी ये स्थिति है कि रायगढ़ प्रदेश में सबसे टॉप पर चल रहा है। आंकड़ों की बात करें तो दिसंबर 2013 के पहले 12 लाख खसरों में से पांच लाख खसरों का बटांकन नहीं हुआ था। याने 40 परसेंट का कोई रिकार्ड नहीं था। अब पिछले नौ महीने में रायगढ़ जिले ने एक लाख 40 हजार बटांकन किया है।

कलेक्टर गोयल से एनपीजी न्यूज ने इस संबंध में बात की। उन्होंने कहा कि 12 लाख में से एक लाख करीब पांच डिसमिल से कम वाले खसरे हैं, जिससे उनका बटांकन संभव नहीं और करीब एक लाख केसों में विवाद की स्थिति है। याने दो लाख निकल गया। बचा एक लाख 60 हजार खसरों का नक्शा अगले साल मई तक कंप्लीट हो जाएगा।

कोरबा दूसरे नंबर पर

बटांकन में कोरबा छत्तीसगढ़ में दूसरे नंबर पर है। मगर रायगढ़ और कोरबा के आंकड़ों में बड़ा फर्क है। रायगढ़ में पिछले नौ महीने में एक लाख 40 हजार खसरों का बटांकन हुआ है तो कोरबा में इस अवधि में 66 हजार। बाकी बड़े जिलों की स्थिति तो और खराब है। प्रति हल्कावार औसत भी रायगढ़ का सर्वाधिक है। रायगढ़ का औसत है 466 तो कोरबा का है 261।

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