Nandi: शिलाद ऋषि की संतान हैं नंदी, जानिए कैसे बने भगवान शिव के वाहन

Nandi: शिलाद ऋषि की संतान हैं नंदी, जानिए कैसे बने भगवान शिव के वाहन

Share

रायपुर, एनपीजी न्यूज। भगवान शिव के वाहन नंदी हैं। उन्हें महादेव का सबसे प्रिय गण माना जाता है। हर शिव मंदिर में नंदी की मूर्ति जरूर होती है। शिव जी की प्रतिमा के ठीक सामने नंदी जी की प्रतिमा होती है।

नंदी जी के कानों में कही जाती है मनोकामना

ऐसी मान्यता है कि नंदी जी के कानों में अगर कोई मनोकामना आप कहें, तो वो जरूर पूरी होती है। नंदी जी उसे सीधे शिव जी के पास पहुंचा देते हैं। भगवान शिव के मंदिर में हमेशा भोलेनाथ की मूर्ति के सामने बैल रूपी नंदी विराजमान होते हैं।

शिलाद ऋषि की संतान हैं नंदी

पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन काल में शिलाद नाम के ऋषि ने घोर तपस्या कर भगवान शिव से वरदान में नंदी को पुत्र के रूप में पाया था। इसके बाद ऋषि शिलाद ने ही नंदी को वेदों और पुराणों का ज्ञान दिया।

भगवान शिव के वाहन बनने की कहानी

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार ऋषि शिलाद के आश्रम में 2 संत आए, जिनकी खूब सेवा नंदी ने की। जब दोनों ऋषि जाने लगे, तब उन्होंने नंदी को कोई आशीर्वाद नहीं दिया। इसकी वजह पूछने पर उन्होंने बताया कि नंदी अल्पायु है। ये सुनकर ऋषि शिलाद चिंता में पड़ गए। तब नंदी ने उन्हें समझाया कि पिताजी आपने मुझे शिव जी की कृपा से पाया है, तो अब वही मेरी रक्षा करेंगे। इसके बाद नंदी ने शिव की कठोर तपस्या की, इससे प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और उन्हें अपना वाहन बना लिया।

कैलाश के द्वारपाल भी हैं नंदी

नंदी को कैलाश का द्वारपाल भी कहा जाता है। उन्हें शक्ति-संपन्नता और कर्मठता का प्रतीक माना जाता है। हर शिव मंदिर में भगवान शिव के सामने नंदी जी विराजमान होते हैं। नंदी जी भगवान शिव की ओर मुख करके बैठे होते हैं, जो उनके भोलेनाथ के प्रति अटूट ध्यान और भक्ति का प्रतीक है। ये इस बात का संकेत है कि नंदी का ध्यान सिर्फ उनके आराध्य पर केंद्रित रहता है।

भगवान शिव अधिकतर साधना में रहते हैं लीन, इसलिए नंदी के कानों में कही जाती है मनोकामना

धार्मिक मान्यता के अनुसार, नंदी जी के कानों में लोग अपनी मनोकामना इसलिए कहते हैं, क्योंकि भगवान शिव अक्सर साधना में लीन रहते हैं। ऐसे में नंदी भक्तों की मनोकामनाएं सुनते हैं और शिव जी के साधना से बाहर निकलने पर उन्हें भक्तों की मनोकामनाएं बताते हैं। भगवान शिव भी नंदी के प्रति बहुत प्रेम रखते हैं और उनकी हर बात सुनते हैं। भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया था कि जो कोई भी मनुष्य उनके कान में अपनी मनोकामना कहेगा, तो उसकी मनोकामना भगवान शिव जरूर पूरा करेंगे।

नंदी जी के कान में अपनी मनोकामना बोलने के नियम-

  • पहले भगवान शिव-पार्वती की पूजा करें।
  • इसके बाद नंदी जी को जल, फूल और दूध अर्पित करें।
  • अब धूप-दीप जलाकर नंदी की आरती उतारें।
  • वैसे तो नंदी जी के किसी भी कान में मनोकामना कह सकते हैं, लेकिन बाएं कान में मनोकामना कहने का अधिक महत्व बताया गया है।
  • नंदी के कान में अपनी मनोकामना बोलने से पहले ॐ शब्द का उच्चारण करें।
  • नंदी जी के कान में जो भी मनोकामना बोलें, उसे दूसरा व्यक्ति नहीं सुन पाए।
  • हालांकि अपनी मनोकामना साफ और स्पष्ट बोलें।
  • मनोकामना कहते वक्त अपने होंठों को दोनों हाथों से छिपा लें।
  • किसी को नुकसान पहुंचाने के मकसद से मनोकामना न बोलें।
  • नंदी के कान में कभी भी किसी दूसरे की बुराई नहीं करें।
  • मनोकामना बोलने के बाद ‘नंदी महाराज हमारी मनोकामना पूरी करो’ कहें।

Share

The post Nandi: शिलाद ऋषि की संतान हैं नंदी, जानिए कैसे बने भगवान शिव के वाहन appeared first on bhadas2media.

admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *